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शुभकर्ता

 श्री गणेश से होगा सब शुभ 

 

बप्पा के बर्थडे का बड़ा जश्न है गणेश चतुर्थी  

श्री गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। इसीलिए हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को धूमधाम से एक महोत्सव के रूप में गणपति बप्पा का जन्म दिन गणेश चतुर्थी के रूप में मनाय जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। 

गणेश जी की पूजा से शुभ के साथ होता है लाभ  

अगर कोई कार्य बिना किसी विघ्न के सीधा हो जाता है तो लाभ खुद - ब - खुद ही प्राप्त हो जाता है लेकिन वही किसी कार्य में बार - बार दिक्क्तों का सामना करना पड़े तो लाभ तो दूर काम भी पूरा होगा कि नहीं मन और मष्तिष्क इस चिंतन में लग जाते हैं। मान्यता है कि अगर किसी सही कार्य को अच्छी नियत के साथ श्री गणेश करने यानी विघ्नहर्ता प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश की पूजा करने से काम सफल हो जाते हैं। 

 

गणेश चतुर्थी पूजा विधि 

गणेश चतुर्थी पर पूजा नहा कर लाल कपड़े पहन कर पूजा की जा सकती है। ऐसा कहा जाता है कि लाल कपड़े भगवान श्री गणेश को अधिक प्रिय लगते हैं। पूजा के दौरान श्री गणेश जी का मुख उत्तर या पूर्व की दिशा में रखा जाता है। पंचामृत से गणेश जी का अभिषेक किया जाता है। पंचामृत में सबसे पहले दूध से, फिर दही से, घी से, शहद से और अंत में गंगा जल से भगवान गणेश का अभिषेक किया जाता है। गणेश जी पर रोली और कलावा चढाया जाता है और साथ ही सिंदूर भी चढाया जाता है। रिद्धि-सिद्धि के रूप में दो सुपारी और पान चढ़ाए जाते हैं. फिर फल, पीला कनेर और दूब फूल चढाया जाता है. उसके बाद उनकी सबसे प्रिय मिठाई मोदक का भोग लगाया जाता है। भोग के बाद गणेश जी की आरती कर भगवान गणेश जी के 12 नामों का और उनके मंत्रों का उच्चारण करते है। 

विध्नहर्ता के इस मंत्र का करें जाप  

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटी समप्रभ . 

निर्विध्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा … 


राजस्थान के गणेश मंदिर जो है दुनियाभर में प्रसिद्ध  

त्रिनेत्र गणेश, रणथम्भौर 

दुनिया का एकमात्र त्रिनेत्र गणेश मंदिर, जहाँ परिवार सहित विराजमान है गणपति बप्पा  

 

मोती डूंगरी गणेश, जयपुर  

नये वाहनों की पूजा के लिए प्रसिद्ध  

 


गढ़ गणेश, जयपुर  

एक ऐसा मंदिर जहाँ बिना सूंड वाले गणेश जी विराजमान है ( बाल रूप)  

 

इश्किया गजानन, जोधपुर  

प्रेम में सफल युवा जोड़ों के दर्शन के लिए प्रसिद्ध

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