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Iss bar jab bhi aao - Anuj Pareek

मैंने अपने हिस्से के सारे सुख बचा रखे हैं तुम्हारे लिए इस बार जब भी आओ 
अपने सारे दुःख, दर्द, आंसू समेट लाना एक पोटली में। 
मैं उस पोटली को बिना खोले रख लूंगा
यह भी नहीं कहूंगा कि तुम अपना हाथ आगे करो
मैं इसे थामना चाहता हूं।
मैं दबा दूंगा मेरी इस इच्छा को भी उन
ख्वाबों की तरह जो कभी मुकम्मल नहीं होते। 
ये सब जानते हुए भी कि मेरी इस ख्वाहिश का पूरा होना मुकद्दर में नहीं तब भी मैं इसी वादे के साथ हमेशा तुम्हारा हाथ थामे रखना चाहूंगा,
जब तक कि नब्ज़ बन्द नहीं हो जाती। 
मैं जानता हूं ये सब तुम्हें नागवार होगा 
लेकिन तब भी मेरा हाथ बिन बढ़ाए 
गुरुत्वाकर्षण के नियम की तरह तुम्हारी ही तरफ होगा।।  

अनुज पारीक


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