Waqt gaya, Ye Naya Daur hai - Anuj Pareek
अब सब कुछ अलग थलग सा पड़ा है
इधर उधर देखने की नहीं, सोचने की जरूरत है
अब सब शायद ऐसा ही हो और आगे भी ऐसा ही रहें
वो वक़्त गया
ये एक नया दौर है
आंखें खुली हो ये कतई ज़रूरी नहीं
ज़रूरत है समझ विकसित करने की
मगर दुर्भाग्य देश का
अब शायद अच्छी नस्लें नहीं बची
जो हैं वो व्यस्त है देश को खोखला करने वालों के साथ प्रचार में
कुछ ज़िम्मेदारियों के बोझ तले दबे हैं
मगर कुछ ऐसे भी हैं जो बहुत कुछ बदल सकते हैं
पर वो मस्त है नाच देखने में लिंग, धर्म पर दलालों, के भाषण सुनकर तालियां बजाने में।
एक ऐसा भी वर्ग है जो करता कुछ नहीं पर अपने काम बखूबी करता है ठेकेदारों के साथ सेल्फी लेकर पोस्ट।
Anuj Pareek
Writer, Poet, Storyteller
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