अपने ही हाथों कर रहे हैं पर्यावरण की हत्या पेड़ - पौधे हरियाली को छोड़ कर रहे हैं दीवारों की रक्षा काट रहे हैं पेड़ों को, कर रहे हैं जंगलों का नाश जो नहीं चेते अभी भी तो हो जाएगा सब खाक जल की बूंद - बूंद को तरसेंगे हम और आप -- अनुज पारीक
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