Header Ads

Bye - Anuj Pareek

मैं बाय नहीं बोलता  - अनुज पारीक

*****
©Anuj Pareek

आसान नहीं होता इतना, खामोशियों की ज़ुबां समझ पाना। तुम्हें क्या लगता है, मैं इतना ही सख़्त हूँ जितना लगता हूँ।



हां तुमसे अलग होने का थोड़ा और थोड़ा दुःख मुझे भी है। लेकिन हमारा साथ होना किस्मत में नहीं क्यों नहीं समझती तुम। हम साथ चल सकते हैं, घूम सकते हैं लेकिन ज़िन्दगी बिता नहीं सकते। तुम यहाँ सिर्फ किताबों में पढ़, टीवी में देख पहाड़ी जीवन की कल्पना कर घूमने आयी हो और मेरा काम ही यही है, खुद नहीं जानता कहां रात कहाँ सवेरा होता है। किस तलाश में हूँ नहीं जानता बस इतना पता है रुकना फितरत नहीं बस चलते जाना है।

क्यों नहीं समझती तुम. जुम्मा - जुम्मा  चार दिन साथ बिताने से ज़िन्दगी के फैसले नहीं कर लिए जाते। ये सिर्फ मेरी सख्ती नहीं है, लेकिन प्रैक्टिकली हमारा साथ नहीं हो सकता। मुझे यहीं सुकून मिलता है, अब दिल नहीं करता उस दुनिया में फिर से जाने का। प्लीज समझो अब और मज़बूर मत करो सच उतना ही दर्द मुझे भी होता है।  मैं समझ सकता हूँ इस दर्द को मैं उतना सख्त नहीं जितना की तुम समझ रही हो। हम लेखकों का दिल भी उतना ही नरम और कोमल होता है जितना कि किसी स्त्री का।  इस दिल में न जाने कितने किस्से, कहानियां हम लेकर चलते हैं, हर रोज़ एक नया किस्सा पलता है कहानी बनती है। हर सफर पर कुछ किरदार मिलते हैं। कुछ तो ज़हन में यूं बस जाते हैं कि उनसे बिछड़ने का रती भर भी मन नहीं होता।


लेकिन ज़रूरी होता है फिर से नए सफर और अफसानों की तलाश में निकल जाना, हां कभी - कभी तो अफसानों को भी मेरी तलाश रहती है। लेकिन जितना बेफिक्री और ज़िंदादिली से हम जीते हैं उतना ही ज़्यादा एक दर्द हमारे सीने में पल रहा होता है, ऐसा दर्द जो हर वक़्त एक उफान लिए होता है। लेकिन आज फिर तुमने मेरी ये बनावटी बेफिक्री और ज़िंदादिली से सोचा कि शायद लेखक थोड़े सख़्त ही होते हैं। लेकिन कैसे बताऊं।
तुम मेरी ख़ामोशी की ज़ुबा नहीं समझ पा रही और बता पाना मेरे लिए उतना ही मुश्किल है जितना कि खामोशियों की जुबां पढ़ पाना उसे समझ पाना।

हाँ ये सच है कि कुछ किरदार सिर्फ किस्से, कहानियों में नहीं बल्कि हमेशा - हमेशा के लिए हमारी रूह में उत्तर जाते हैं, ज़हन में बस जाते हैं और तुम मेरे लिए किसी कहानी का किरदार नहीं बल्कि एक ख्याल हो जो मुझे खुद का होना मुकम्मल कराता है।



हमारा सफर यहीं तक था और फिर तुम्हें भी तो लौटकर जाना है। चलो अब चलता हूँ अनजान सफर पर किसी अनजान किरदार से मिलने शायद कोई इंतजार कर रहा हो। बाय मैं नहीं बोलूंगा ये कहना मेरे लिए बिछड़ने से ज़्यादा मुश्किल है।

Anuj Pareek
Writer, Poet, Storyteller 

No comments