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Zabt Kaha Rahta hai Insan me - Anuj Pareek



जुनून हो चाहे कितना भी इंसान में
लाख जतन पर भी ना मिले मंज़िल
तो ज़ब्त कहां रहता है इंसान में
                      - अनुज पारीक 

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