Header Ads

पागल कवि - कौतुहल मेरे मन की /PagalKavi

ज़िन्दगी क्या है ?
हम सब के मन में ये बात कभी ना कभी ज़रूर आती  है। या और भी कई ऐसे सवाल जो हमे ना सिर्फ परेशान बल्कि झकझोर कर देते हैं। सवालों में तो वैसे हर वक़्त उलझे रहते हैं। पर एक ऐसा सवाल जो हमे कई दफ़ा परेशान करता है और सोचने पर भी मज़बूर।
खासतौर पर तब जब हम किसी परेशानी में फंसे हो,जब जीवन दुखदायी हो।
कहीं से कोई उम्मीद की रोशनी दिखाई ना दे ऐसे समय में अक्सर हम इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं, की आखिर ये ज़िन्दगी है तो है क्या?
और जब ज़हन में ऐसे सवाल घर कर जाते हैं तो दिलों दिमाग के सारे घोड़ें दौड़ने लगते हैं।
ऐसे ही कई सवालों ने घेरा बना लिया था उस पागल कवि के मन में ........
तो आइये दोस्तों धुन ज़िन्दगी पर आज हम जानेंगे
ऐसे ही सवालों के जवाब क्योकि धुन ज़िन्दगी पर
मैं आपका दोस्त अनुज पारीक लेकर आता हूँ।
जानकारी का खज़ाना और भी बहुत कुछ ....
साथ ही आपको रुबरु करवाता हूँ। धुन संवार लोगों से
क्योकि ज़िन्दगी में किसी मुक़ाम तक जाना हो या किसी भी मंज़िल को पाना हो ज़रूरी है।
धुन.... धुन ज़िन्दगी की ..
तो आइए जानते हैं "कौतुहल मेरे मन की"


दरअसल ये कौतुहल सिर्फ मेरे मन की नहीं है।
ये हर उस इंसान के मन की है जो ज़िंदा है और ढूंढने की कोशिश करता है इन सवालों के जवाब...
उस रात, उस लेखक की परछाईं अधपकी नींद से उठ खड़ी हुई। बगल में कलम पड़ी थी।
दिलों-दिमाग पर शब्दों और ख़्यालों का पहरा लगा था।  फिर क्या था, उसके ‘मन की कौतुहल’ में एक रवानी जागी। उसके उबलते शब्दों ने आखिरकार लिख ही डाला।
वो दिल्ली का दर्द,  वो मांझी का मर्ज़, वो उस अहंकारी मानव का सच, वो उस श्मशान की बुझी ख़्वाहिश, वो उस ज़िद्दी धुआँ की फ़रमाइश,
वो उस दिवाली की अंधेरी रात, वो उस सन-सैतालिस की बेबस बात, वो उस प्यासे कवि की गुहार,
वो उस कल्करूपी की पुकार, वो उस आशिक की ज़रूरत,  वो उस नोटबन्दी की हुकूमत, वो उस रेलगाड़ी के तमाशे, वो उस सड़क पे पड़ी खूनी लाशें।
वो मानवीय भावनाओं की सिसिकियों के भँवर में जा फँसा था। शब्दों का समुंदर उसके गले तक जा भरा था। उन कड़वे और ज़हर शब्दों की उल्टियाँ करना बेहद ही ज़रूरी था। यह काव्य-रचना ज़रूरी थी। उस ''पागलकवि की कल्पना" के रसद को चखना जरूरी था।
अब तो आप जान ही चुके होंगे वो सवाल जो उस पागल कवि के मन में थे। लेकिन हां अभी भी जवाब
बाकी है और जवाब मिलेंगे आपको पागल कवि कल्पना के रसद को चखने के बाद ...
तो आज ही आर्डर करें अमित सिंह द्वारा लिखी
"कौतुहल मेरे मन की"

Amazon 

Infibeam 



Book Review by
ANUJ PAREEK
(Radio Presenter, Creative Writer, Poet)

अगर आप भी जुड़ना चाहते है धुन ज़िन्दगी से तो हमे मेल कर सकते हैं हमारा ई-मेल है
dhunzindagiki@gmail.com
anuj_@live.com

Facebook पर जुड़ने के लिए Like करें
Dhun Zindagi

Twitter पर follow करें

YouTube --- Dhun Zindagi Ki 

No comments