परिवार का ख़्याल जो हरदम सताता - अनुज पारीक / Father Poetry Anuj Pareek
फटी एड़ियां
घिसी चप्पलें
पसीने से भी रहता तर-बतर
खूब पसीना मेहनत करता
परिवार की ज़रूरतें ही नहीं बच्चों की ख़्वाहिशें भी पूरी करता
मुस्कुराकर हर दर्द छुपाता
पूछने पर बस कुछ नहीं यूं ही हर मर्ज़ छुपाता
तपती धूप में मेहनत से शायद इसलिए भी जी नहीं चुराता
परिवार का ख़्याल जो हरदम सताता
खूब पसीना बहाता
मेहनत करता
परिवार की ज़रूरतें ही नहीं बच्चों की ख़्वाहिशें भी पूरी करता
पाई-पाई जोड़कर जो भी थोड़ा बहुत बचाता
फिर भी पूरा कुछ ना हो पाता
पता नहीं कैसे हिम्मत जुटाता
कहीं से उधार कहीं ब्याज़ से पैसा वो लाता
बेटी का ब्याह भी रचाता
बेटे को भी पढ़ा- लिखाकर क़ाबिल बनाता
खूब पसीना बहाता
मेहनत करता
परिवार की ज़रूरतें ही नहीं बच्चों की ख़्वाहिशें भी पूरी करता ।।
-- © अनुज पारीक --
घिसी चप्पलें
पसीने से भी रहता तर-बतर
खूब पसीना मेहनत करता
परिवार की ज़रूरतें ही नहीं बच्चों की ख़्वाहिशें भी पूरी करता
मुस्कुराकर हर दर्द छुपाता
पूछने पर बस कुछ नहीं यूं ही हर मर्ज़ छुपाता
तपती धूप में मेहनत से शायद इसलिए भी जी नहीं चुराता
परिवार का ख़्याल जो हरदम सताता
खूब पसीना बहाता
मेहनत करता
परिवार की ज़रूरतें ही नहीं बच्चों की ख़्वाहिशें भी पूरी करता
पाई-पाई जोड़कर जो भी थोड़ा बहुत बचाता
फिर भी पूरा कुछ ना हो पाता
पता नहीं कैसे हिम्मत जुटाता
कहीं से उधार कहीं ब्याज़ से पैसा वो लाता
बेटी का ब्याह भी रचाता
बेटे को भी पढ़ा- लिखाकर क़ाबिल बनाता
खूब पसीना बहाता
मेहनत करता
परिवार की ज़रूरतें ही नहीं बच्चों की ख़्वाहिशें भी पूरी करता ।।
-- © अनुज पारीक --
Anuj Pareek
Creative Writer,Poet
Superb heart touching poetry great sir
ReplyDeleteBhut khoob
ReplyDelete