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Menstrual/ कही दर्द , पीड़ा से गुजरती होंगी

दर्द , बैचेनी पीड़ा से छटपटाती
मन में अजीब सी चिड़चिड़ाहट
कुछ ना खाने को मन करना
ज़रा सी बात पर रो देना
शायद ऐसा ही कुछ होता होगा ना
महीने के उन चार दिनों में
समझता हूँ तेरे चेहरे की लकीरों से
कही दर्द , पीड़ा से गुजरती होंगी

#MenstrualHygieneDay

Anuj Pareek 
Writer, Poet, Storyteller
Dhun Zindagi 

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