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Farz Ke Sath Hardam - Anuj Pareek

#ProudOnPolice
जिसको हर बार बात - बात पर कोसा जाता है वो कौन ?
जो सबसे ज़्यादा भ्रष्ट वो कौन ?
जो अपना ईमान बेच देता है वो कौन ?
शायद इन सब सवालों और ऐसे ही कई सवालों के जवाब में आपके ज़हन में सबसे पहले #पुलिस ही आएंगी।
पर आप ग़लत हैं।
चलिए कुछ सवाल और -
अगर पुलिस अपने कर्तव्य से पीछे हट जाए तो
अगर बाकी के प्रोफेशन की तरह ये भी एसोसिएशन / संगठन बना ले तो
या फिर दिल्ली में हुई घटना या तमाम ऐसी घटनाएं जो पुलिस वालों के साथ होती है और पुलिस भी डॉक्टर्स की तरह हड़ताल पर जाने लगे तो सोचिए इस देश का क्या हाल हो जायेगा ?
लेकिन आपको इन सब से क्या मतलब
आपने तो ज़बरदस्ती पुलिस वालों की छवि ही ऐसी बना दी।
अगर एक दिन शहर के किसी चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस वाला ना खड़ा हो तो लंबी लाइन लग जाती है, गाडियां फंस जाती है सोचिए पुलिस वालों की हड़ताल हो जाए तो रात तो क्या चैन से दिन नहीं गुजरेगा।
चलिए भाईसाब ये खाकी वाले गुंडे ही सही इनका सम्मान ना सही लेकिन आपकी सुरक्षा के लिए तैनात सैनिक का अपमान और यूं भीड़ का सहारा लेकर दौड़ाकर तो मत मारियें। 

इतना सब सहने के बाद भी आज तक डॉक्टर्स की तरह ये जवान हड़ताल पर तो नहीं गए। वकील को थोड़ा कुछ बोलो संगठन की धमकी और लो जी हड़ताल, व्यापारी हड़ताल और किसको नहीं पता किसी कर्मचारी संघ का बेमतलब की हड़ताल। कभी मांगे मनवाने के नाम पर तो कभी राजनीतिक। लेकिन आज तक मैंने पुलिस विभाग को अपने कर्तव्य से पीछे हटते नहीं देखा और सैल्यूट करता हूं ऐसे जवानों का देश में तैनात रहकर जनता की रक्षा करते हैं। 8 घंटे के वेतन पर 14-14 घंटे ड्यूटी करते हैं और 14 ही क्यों 24 घंटे। मुझे गर्व है एक कॉन्स्टेबल पर, एक पुलिस वाले पर।
चलिए अब बात करते हैं मौजूदा हालात पर किसी एक जगह हुई घटना पर देश के सारे डॉक्टर्स का हड़ताल पर चले जाना।
अरे ये डॉक्टर्स नहीं भगवान हैं जिन्हें हम सब भगवान मानते हैं।
और सिर्फ ऐसा आज ही नहीं अब तक न जाने कितनी हड़तालें मैं देख चुका हूं। पूरे देश या किसी शहर में भी अगर ऐसी हड़ताल होती है तो इससे ना सिर्फ स्वास्थ्य सेवाएं बाधित होती है। बल्कि गंभीर बीमारी और सीरियस कंडीशन वाले मरीज बेहाल हो जाते हैं और बचाने वाले न जाने कितनी जान भी ले लेते हैं। सोचिए थोड़ा सा कट जाने, गिर जाने से अाई चोट या मामूली सा सिर दर्द, पेट दर्द से हम कराह उठते हैं तो ऐसे मरीजों का क्या हाल होगा जिन्हें तुरंत ऑपरेशन की जरूरत है। लेकिन इन सब से क्या फर्क पड़ता है डॉक्टर्स को।
शायद अब सेवा से ज़्यादा इनके लिए बिजनेस और संगठन हो गया। ये कहां का न्याय देश के किसी कोने की घटना के लिए पूरे देश की जनता को परेशान करना। उस जनता को जिसके टैक्स के पैसों से थोड़े से ही खर्चे में पढ़ाई पूरी कर आज तनख्वाह उठा रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं कोई जान पहचान ना होते हुए भी भगवान और खुद से ज़्यादा भरोसा करने वाली जनता के साथ ऐसा करना किसी अत्याचार से कम नहीं।
संगठन और मांगों के नाम पर ये हड़ताल बंद कीजिए।

Written by 
Anuj Pareek 
CreativeWriter, Poet, Blogger


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#Doctor #DoctorsStrike

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