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चौकीदार भारत मां का सच्चा वीर - अनुज पारीक



जब भी चलती थी गोलियां
सैनिक जान गंवाते थे

जो इन गद्दारों के हमले से बच भी जाते
शान से सीना तानकर चलने वाले भारत के वीर शीश झुकाते थे

आतंकी किसे कहें सीना छलनी करने वालों को
या जवानों की मौत पर भी चुप्पी थामने वालों को

सरहद की खातिर हर हद से गुजरने वालों को सीमा में बांध दिया
खुद सीमा पार जाकर दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं

ये देख खून खोलता हर चौकीदार का
लेकिन बंधे थे हाथ यही सोचकर शौक मनाते थे

हाथ खोल दिए मोदी जी ने जवानों के
तो दुश्मनों को घर में घुसकर मारे थे
एक शीश के बदले 10 शीश धड़ से अलग कर डाले थे

औकात नहीं आज दुश्मनों की
कि आंख हमें दिखाए
इतना पता तो सबको चल गया
तैनात वहां रक्षा में चौकीदार आम नहीं भारत मां का सच्चा वीर है।

Written by Anuj Pareek 

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