Safarnama 1
आज न जाने क्यों सोचने पर मज़बूर हो गया। बहुत कुछ बदल गया, खुद में इतने बदलाव मैं ला चुका था
या खुद-ब-खुद वक़्त के साथ मेरे सांचे में
या फिर मैं खुद इनमें ढलता रहा।
न जाने क्यों आज जब पीछे मुड़कर देखता हूँ तो लगता है बहुत कुछ पीछे छूट गया। खैर वैसे वक़्त के साथ चीज़ें बदलती हैं। पर एक चाहत मैं कितना कुछ पीछे छूट जाता है। कभी सोचा भी ना था।
जब 10 वीं के बाद घर से दूर पढ़ने और बढ़ने के लिए शहर आया तो लगता था शायद मैं अपनी डेस्टिनेशन पर पहुँच गया हूँ। यहीं आना था मुझको यहीं सेटल हो जाना है। पर शायद वक़्त की रफ़्तार कभी कम नहीं होती।
9 साल पहले इस सफ़र की शुरुआत की थी। आज मीलों आ चुका हूँ और मीलों चलना है। नहीं पता मंज़िल मिलेगी या सफ़र ही चलता रहेगा…
चलिये फिर से आऊँगा अपने सफ़रनामे की दास्तां आपसे शेयर करने और बताऊँगा आपको इस सफ़र अनकही और मज़ेदार बातें जो सीधा आप से होके गुज़रेगी।
अनुज पारीक
सफ़रनामा
यहीं है धुन! धुन ज़िन्दगी की ...
Stay Tune Dhun Zindagi
या खुद-ब-खुद वक़्त के साथ मेरे सांचे में
या फिर मैं खुद इनमें ढलता रहा।
न जाने क्यों आज जब पीछे मुड़कर देखता हूँ तो लगता है बहुत कुछ पीछे छूट गया। खैर वैसे वक़्त के साथ चीज़ें बदलती हैं। पर एक चाहत मैं कितना कुछ पीछे छूट जाता है। कभी सोचा भी ना था।
जब 10 वीं के बाद घर से दूर पढ़ने और बढ़ने के लिए शहर आया तो लगता था शायद मैं अपनी डेस्टिनेशन पर पहुँच गया हूँ। यहीं आना था मुझको यहीं सेटल हो जाना है। पर शायद वक़्त की रफ़्तार कभी कम नहीं होती।
9 साल पहले इस सफ़र की शुरुआत की थी। आज मीलों आ चुका हूँ और मीलों चलना है। नहीं पता मंज़िल मिलेगी या सफ़र ही चलता रहेगा…
चलिये फिर से आऊँगा अपने सफ़रनामे की दास्तां आपसे शेयर करने और बताऊँगा आपको इस सफ़र अनकही और मज़ेदार बातें जो सीधा आप से होके गुज़रेगी।
अनुज पारीक
सफ़रनामा
यहीं है धुन! धुन ज़िन्दगी की ...
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