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Safarnama - Anuj Pareek

शहर- शहर भटकने की पुरानी आदत है। ये नहीं पता क्यों, कैसे पर ज़रूरतों की गलियों से
निकल कर महीने में 2-4 शहर भटक ही आता हूँ। 
 
ये भी बिलकुल नहीं पता कहाँ, क्यों, किसलिए जाता हूँ।  
जाना कहाँ है, रुकना कहाँ है, कब जाना है, कब आना है।  कुछ भी फिक्स नहीं होता बस उठाया अपना झोला और निकल पड़ता हूँ उस सफर की ओर जहाँ खुद से मिलता हूँ  न जाने कितनी कहानियां, किस्से बस चलते-चलते पढ़ लेता हूँ।  कभी किसी शहर को लेकर या फिर किसी जगह को लेकर आज तक नहीं लगा की पहली बार आया हूँ पता नहीं क्यों लगता है जैसे हर एक गली से नाता है, बरसों से यहीं रह रहा हूँ। 
 

वैसे कोई शौक और कोई खास हॉबी नहीं है बस एक चीज़ है मुझमें जो शायद मेरी आदत भी है और ज़रुरत भी और वो है सफर .........
कहते हैं ज़िन्दगी एक सफर है जितना पढ़ो फिर भी कुछ छूट ही जाता है। लेकिन सफर एक किताब है जिसे पढ़कर ज़िन्दगी के हर छुएं, अनछुएं लम्हों को जिया जा सकता है।  

Anuj Pareek 
Writer, Poet, Creative Writer, Traveler 

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