आप हो या बाप - अनुज पारीक
इको और पार्टी आ चुकी है। सुना है अनुसूचित जाति-जनजाति और अन्य अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारों की लड़ाई लड़ेगी। तो भईया एक बात दिमाग में खटकने लगी फिर सामान्य ?.....
अरे वहीं जनरल अरे भईया हम किसी रेल के डिब्बे की बात नहीं कर रहे काहे सब के सब सारी पार्टियां, सारे नेता भूल जाते हैं। अरे हम उसी कोच की बात कर रहे हैं जो किसी फॉर्म में टिक का ऑप्शन होता है।
वहीँ जनरल,ओबीसी, एससी और एसटी सारा टंटा इन्हीं का है।
काहे इन ऑप्शन का इस्तेमाल कर जनता को चूतिया बना रही हैं ये पार्टियां। कोई कहता है हम इनके अधिकारों के लिए लड़ेंगे, कोई कहता है फलां के अधिकारों के लिए पर सच तो ये हैं भईया इन सबकी आड़ में बोटियाँ सेंकी जाने लगी है।
सुना था आप ही से .... आज से कुछ सालों पहले की एक पार्टी आई थी और अभी गाड़ी सरपट से चल रही है .. ... बातें हां ज़रूर बड़ी-बड़ी थी और हो भी क्यों ना आखिर इन्हीं बातों से तो बनती हैं जनता। आप ही की किसी पार्टी ने कहा था भ्रष्टाचार के लिए लड़ेंगे, ये करेंगे, वो करेंगे हाँ किया ना उन्हीं ने भ्रष्टाचार। खैर मुद्दे की बात ये है मार्केट में जो नई पार्टी आयी है नाम है उसका बाप।
और पार्टी बनाई देश के सबसे बड़े एजुकेशनल इंस्टिट्यूट IIT के पास-आउट स्टूडेंट्स ने। वैसे तो यहाँ से निकलने वाले स्टूडेंट्स ने देश ही नहीं विदेशों में भी कोहराम मचाया हैं। पर भईया पार्टी ने जो मुद्दा लिया है वो हमें कम ही पचता है।
अरे जब बदलाव ही लाना था बदलाव ही करना था तो और भी कई मुद्दे हैं जातिवाद, समुदाय को छोड़कर। खैर भईया हम ठहरे टुच्चे- मुच्चे, छोटे- मोटे एक झोला छाप राइटर कुछ भी ऐसा- वैसा लगता है। उठाया अपना थैला निकाला लैपटॉप और लिखने बैठ जाते हैं कहीं भी। और आज जब ये गलत लगा तो निकाला अपना ताम- झाम और लिख डाला और ऐसे ही लिखते रहेंगे फिर वो चाहे आप हो या बाप।
Anuj Pareek columnist, Writer, Poet, Creative Writer |
Siyasat ka Khel
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