Safar Reshmi Sapno Ka / सफ़र रेशमी सपनों का
तो आइये दोस्तों चलते है उस सफ़र की ओर जो आज सुहाना तो है लेकिन उस सफ़र को तय करने के लिए कितनी कड़ी डगरों से गुज़रना पड़ा होगा।
उन सपनों को पूरा करने के लिए कितनी रातों को जागना पड़ा होगा। जी हां दोस्तों धुन ज़िन्दगी पर आज मैं अनुज लेकर आया हूँ एक ऐसे ही सफ़र की दास्ताँ ....... सफ़र रेशमी सपनों का............
सफ़र रेशमी सपनों का महज एक किताब नही, गरोठ कस्बे में रहने वाली "वर्षा गुप्ता" द्वारा लिखे गए वो सपने है जो खुली आँखों से देखते तो है पर पलके तब तक झपकने नही देते जब तक वो मुकम्मल न हो जाए। सफ़र में कठिनाइयाँ न हो तो मंजिल को पाने का क्या मजा। 2012 में कलम उठाई और लिख डाला अपना पहला काव्य संग्रह।
इस सफ़र में वर्षा गुप्ता को भी कई संघर्ष करने पड़े पर कभी हिम्मत न हारी।
यह प्रेरणादायी किताब हमे सिखाती है की किस तरह हौसला रख हमे मंजिल को हर हाल में पाना है, क्योंकि लेखिका का मानना है की" हार मान लेने से ही हार होती है" और इसी पर अटल रहकर कुछ किया जाए तो कुछ भी मुश्किल नही है। इसके अलावा भी जिंदगी के छोटे छोटे पहलुओं पर कलम चलाई है।
इसमें माँ की महत्ता भी है तो पिता का प्यार नही, चाँद सितारों की दुनिया भी है और बिना मात्राओं की कविताएं भी।
ज़िन्दगी के कड़वे मीठे रहस्यों को काफी अच्छी तरह से सामने रखने की कोशिश की है किताब में दस विषय है जिनमे सारी कविताए समाहित की गई है और वही किताब का मनमोहक पृष्ठ इसे पड़ने के लिए विवश कर देता है। बेहतरीन काव्य संग्रह के लिए लेखिका को बधाई।
Great work...
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