मजबूरियां जो कर देती है बेघर छीन लेती है घर आँगन तिनका-तिनका बटोरतें समय की बारिशों ने कर दिया तर बतर अनुज पारीक धुन ज़िन्दगी की धुन कविता की यह भी देखें नवरात्रि यूं ही कुछ बातें करते है इंफोटेन्मेंट का पिटारा ज़िन्दगी कॉम्प्रोमाइज़ नहीं
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