ग़मों को छुपाता हूँ , खुद ही में खुद मुस्कुराता हूँ ... खुद ही में तुमको छुपाता हुँ , होता हूँ सेंटी , तो हंस कर दर्द छुपाता हूँ आज फिर बुना है मैने शब्दों का ताना बाना तेरे दर्द को एक और शायरी में झलकाता हूँ अनुज पारीक धुन ज़िन्दगी की धुन कविता की
Post a Comment