Header Ads

फ्री द निप्पल

अभी कुछ समय पहले की ही बात है शायद आपको याद भी होगा ब्रैस्ट फीडिंग वाली पोस्ट में "फ्री द निप्पल" मूवमेंट चल रहा था, जिसे वामी वैश्याएं चला रही थी, उसी कड़ी में वामी वैश्याओं ने सोशल केम्पेन चलाया और तर्क दिया कि जब मर्द अपने निप्पल दिखा सकता है तो औरत क्यों नही, आपको याद होगा तरबूज में अपने स्तन  को डाल कर फोटो खिंचवाने वाली ये वही वही रेहाना फातिमा है जो सबरी मलै में भगवान अय्यप्पा के दर्शन के लिए मरी जा रही है...!



ये रेहाना फ़ातिमा और रेशमी नायर वही वामी महिला है जो ये तर्क देती है कि जब मर्द के निप्पल सेक्सुअल नही हैं तो औरत के कैसे...?

क्योंकि इसका जवाब तो प्रकृति दे ही सकती है, भगवान भी यदि कह दें तो भी वामी उसे नकार देंगे, कुछ रेहाना जैसी वामी महिलाएं कहती है कि If my clothes provokes you, then your stupidity provokes me too"...!

अब ऐसे लोगों को कैसे समझाए कि किसी के कपड़ों ने कभी किसी को प्रोवोक नही किया, प्रोवोक नंगापन करता है, लेकिन ये लोग तो किसी निर्जीव बाइक, मोबाइल, कार से ले कर अपने बाप, भाई तक को भी "सेक्सी" कह देते हैं, तो क्या इन महिलाओं से आप धार्मिक मान्यताओं पर सकारात्मक विचार की उमीद कर सकते हैं........ क्या ये लोग  ब्रह्मचर्य का मतलब समझ सकते हैं...?

इन लोगों को लगता है कि कामुकता में प्रोवोक होना, मानसिक बीमारी है, जबकि सच्चाई ये है कि जो कामुकता से प्रोवोक नही होता, उसे बीमारी जरूर है.....उदाहरण के लिए अप्सरा मेनका को ले लीजिए मेनका ने तो विश्वामित्र जैसे ऋषि की तपस्या भंग कर दी थी तो तो भगवान अय्यप्पा की सैकड़ो साल की परंपरा और और करोड़ो हिंदुओं धर्मिक भावनाओं को भंग करने में इन्हें कितनी देर लगेगी...?

दरअसल इस तरह के प्रोपगेंडा को प्लांट करने की इनकी ट्रिक बड़ी विचित्र होती है, आईये पहले इन वामी वेश्याओं इस विचित्र टेक्निक पर बात करते हैं...!

वामी औरतों के आस पास के मर्द भी उतने ही उत्तेजना में रहते हैं लेकिन वो वामी औरतों को हमेशा उन मर्दों की तरफ उलझाए रहते हैं, जो वामी विचारधारा से सहमत नही हैं, गैर वामियों को "मानसिक विकृत" कहकर और खुद को ओपन माइंडेड बता कर वो बड़े प्यार से औरतों को अपनी बोतल में उतारते हैं और फिर "फ्री सेक्स" जैसी बातें कर उस वामी औरत को मिल बांटकर भोगते हैं, अब औरत से ज्यादा "समझदार" तो कोई है नहीं तो उनको कोई कैसे समझाए...?

लेकिन फिर आगे के वामी भी तो तैयार करने होते हैं......तो समय समय पर कोई न कोई मूवमेंट चलाते रहो.......पश्चिम में नंगा होने को बचा ही क्या है.....औरत के सिर्फ 5% अंग ही ढके रह गए हैं तो उन्हें भी दिखाने की मूवमेन्ट चलाओ न, वैसे ये मूवमेन्ट सिर्फ औरत को बिगाड़ने भर के लिए नही होते, बल्कि ऐसे मर्द भी तैयार करने के लिए भी होते हैं जो ऐसी औरतों को स्वीकारे.......इसीलिए ये लोग ये तर्क देते हैं कि जब तुम अपनी चेस्ट दिखा सकते हो तो हम अपनी ब्रैस्ट क्यों नही, तुम्हारी मानसिकता छोटी है जो तुम हमे हमारे कपड़ो से जज करते हो...!

नतीजा आप देख ही रहे हैं,  आज एक मर्द रेशमी नायर जैसी वैश्या से शादी कर लेता है.....जबकि भारत ऐसा नही है हम हमेशा से एक बैलेंस समाज रहे हैं.....हमने ना कभी बुर्के को समर्थन दिया न कभी बिकिनी को......क्योंकि हमारे यहां अति की मनाही रही है.......ये दोनों तरह की चीजें हम पर थोपी गयी हैं, पहले मुस्लिमों ने आकर थोपा, आज कानून की आड़ में वाम थोप रहा है...!

हर कोई ऊपरी सतह से चीजों को देख रहा है और उसका समर्थन और विरोध कर रहा है, अंदर जाकर कोई नही देख रहा कि षड्यंत्र क्या है...?

हमने भले ही कामसूत्र से लेकर अजंता एलोरा बनाये लेकिन हमने ही वासना को महापाप की श्रेणी में रखा, वहीं दूसरी तरफ पुरुषार्थ के 4 लक्षणों में काम को भी प्राथमिकता दी,
इसलिए जिन लोगों को लगता है कि भारत अपने पिछड़े पन की वजह से हमे नंगा नही होने देना चाहता या जिन्हें लगता है कि भारत को नंगापन नही, पर्दापन चाहिए, वो दोनों ही विदेशी मानसिकता से ग्रसित हैं...!

बाकि ये जो आज फिल्मों गानों आदि के माध्यम से नंगापन जो चला है, ये तो कतई स्वीकार हेतु नहीं है क्योंकि ये वाम द्वारा भारतीय समाज को न सिर्फ दूषित करता है बल्कि उसे खत्म भी करने को आतुर है क्योंकि भारत के ज्ञान से भरे दिमाग मे जब सेक्स भर जाएगा तो वो समाज कभी आगे नही बढ़ सकता और इस देश मे सेक्स सिर्फ दिखाने भर तक नहीं बल्कि बेचने की भी चीज बन गया है...!

वामपंथ सनातन को खत्म करने के मिशन पर काम कर रहा है इसके एक नहीं कई उदाहरण हैं लेकिन ताजा उदाहरण आपके सामने रेहाना फ़ातिमा जैसी वामी वेश्याओं के रूप में मौजूद है जो सनातन के आस्था के प्रतीक भगवान अय्यप्पा के सैकड़ो वर्षो की परंपरा और करोड़ो लोगों की धर्मिक भावना को खत्म करने पर तुली हुई हैं...!

जानते हैं ये सारे के सारे दुष्चक्र कहाँ से जन्म लेते हैं...?

ये जन्म लेते हैं उस खानदानी पार्टी के गर्भ से जिसके सपोले देश की रीढ़ कही जाने वाली न्यायपालिका से लेकर हर उस जगह कुंडली मारे बैठे हैं जहां इन्हीं के द्वारा बनाये गए संविधान का संरक्षण प्राप्त है...!

इनका फन कुचलने का एक मात्र उपाय यही है कि इन्हें सत्ता के सिंघासन से दूर रखें, क्योंकि ये सारा का खेल उसी सत्ता को पुनः प्राप्त करने के लिए खेला जा रहा है......और सत्ता को पुनः प्राप्त करने के लिए हिन्दू सनातन धर्म को छिन्नभिन्न करके खत्म करने का जो रास्ता इन्होंने अपनाया है निःसन्देह इन्होंने अपने नजरिये से बहुत ही सही जगह पर प्रहार कर रहे है...!

अमर कान्त तिवारी की वॉल से साभार
facebook.com/amarkant.tiwari.54

No comments