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Guzara Ye Saal Magar - Anuj Pareek

ये दिन जो गुज़रे जा रहे हैं
यादों के गुलदस्तें सज़े जा  रहे हैं। 
मिला जो शख्स कुछ दे गया
यादों का ही
दर्द, यादों का ही मरहम दे गया।

जो मिला जितना मिला वो रहमत से कम नहीं
हर शख्स एक नया अनुभव दे गया।
गिरते- चलते  चलते-गिरते
हर चाल के साथ वक़्त एक तज़ुर्बा दे गया गया।

साल बदला तो कैलेंडर भी बदला
मगर पुराना कैलेंडर भी वहीँ तारीख़ें वहीँ दिन दे गया।
गुज़रा ये साल मगर
जाते-जाते कुछ खट्टी - कुछ मीठी यादें दे गया। 

शुक्रगुज़ार है "अनुज "  हर उस शख्स का
जो एक  नई  सीख दे गया।
मिला जो शख्स
यादों का ही दर्द, यादों का ही मरहम दे गया।
© अनुज पारीक
Anuj Pareek 

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