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इबादत को इजाज़त है / Ibaadat ko Ijaazat Hai

ज़िन्दगी में किसी मंज़िल तक जाने या किसी मुकाम को पाने के लिए एक धुन का होना ज़रूरी है।  ये धुन कभी अपने लिए तो कभी अपने सपनों के लिए तो कभी अपनों के लिए कुछ करने की धुन ...
पर हां जब होती है धुन संवार तो सपनों के आसमान में पंख फैलाना और भी आसान हो जाता है।
तो आइये दोस्तों पढ़ते है धुन ज़िन्दगी की.... जहाँ मैं अनुज लेकर आता हूँ ऐसी ही कुछ मज़ेदार धुन संवार लोगों की धुन ....तो आइये जानते है ज्योति जैन  और उनके लिखे कहानी संग्रह इबादत को इजाज़त है के बारे में ....



कहानी संग्रह

About the book- 
सरेआम सुगबुगाते हुए लफ्ज़, कहने की चाहत और बहुत कुछ कहना मुल्तवी भी करने वाली यह कलम, बेचैनियों और छटपटाती हसरतों के अनझिंप उजाले, अंधेरी रात की खामोशी में टूटता एक चुप्पा-सा तारा, बेमुरव्वत चाँदनी से अनकही बातें, सादे सपनों की समंदर-सी प्यास जैसी हैं ज्योति जैन की कहानियाँ। ये कहानियाँ तटबंधों को खारिज करती हैं, ये कहानियाँ नए मुकाम को मंजिल भी नहीं मानती, और तो और, अपने लिए कोई नई परिभाषा गढ़ने की भी कतई ख्वाहिशमंद नहीं हैं। ये कहानियाँ। खुद को बताने या छु पाने के मकसद से बेरुख हैं ये कहानियाँ। एक अहसास पर मर मिटने वाले हैं इन कहानियों के किरदार, तमाम शान-ओ-शौकत से कतई मुखातिब नहीं हैं ये किरदार, अपनी प्यास के साथ ये दूर सहरा तक भटकने को बेताब हैं, पर सूखे गले से भी ये प्रेम की एक कविता ज़रूर रचते हैं।

ज्योति जैन

दुनिया के बनाये रास्तों पर चलने से ज़्यादा अपनी ख़ुद की बनाई पगडंडी पर चलने में विश्वास करने वाली लेखिका ज्योति जैन। जिसे ईश्वर ने जन्म की पहली सांस लेने का सौभाग्य राजस्थान में श्रीनाथजी के चरणों में दिया। पढ़ने और बढ़ने के लिये बायोलॉजी विषय चुना लेकिन तब लगा जैसे वे सिर्फ शरीर भर को क्लास में ले जाती है, उनके शरीर में बसने वाली आत्मा तो पिछली रात लिखी कुछ पंक्तियों में ही रह गई हो जैसे। भीतर की इसी पुकार को सुनते हुए उन्होंने अपना सबकुछ अपनी कलम और उससे निकलने वाले शब्दों को समर्पित कर दिया। ईश्वर ने सांसें दी और अब ये बैठकर हर सांस में शब्द पिरो रही हैं। जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में डिप्लोमा करने के बाद फिलहाल पत्रिका समूह से जुड़ी हुई हैं।

साथ ही पिछले 6 सालों से सुरभि सलोनी पब्लिकेशन से जुड़कर अपनी कलम को तराशने की जुगत में लगी हुई है। कोई बड़ी ख़्वाहिशात नहीं पालतीं लेकिन खुद के फैसलों के परों से उड़ने के अपने हक़ को भी नहीं छोड़ती हैं। कई पत्रिकाओं में लेख  लिखने के साथ ही अंग्रेजी के दो काव्य संग्रह (anthology) “Rhymes and Rhythm” और “LifeNama” में कुछ पन्नें इन्होनें अपने नाम के रंगे हैं। आसमां के पहिए पैरों में बांध भटकने की शौकीन जब कहीं नहीं मिलतीं तब वह अपने ब्लॉग या पेज पर कई और कहानियां बुन रही होती है।

Website- www.Jyotijain.in
सम्पर्क- jyoticute27@gmail.com


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