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किसान दिवस

सर्दी की ठिठुरती रातें और गर्मी की चिलचिलाती धूप में कड़ी मेहनत करने वाले अन्नदाता को सलाम.

भारत  एक कृषि प्रधान देश है। भारत की अर्थवव्यस्था कृषि पर आधारित हैं।  लेकिन इस कृषि प्रधान देश में भी हमारे किसानो की दशा दयनीय है। वो किसान जो खेतो में दिन रात मेहनत कर अन्न उगाता हैं बिना धुप  छांव की परवाह किये दिन रात मेहनत करता हैं।  उसके खेतो में उग रहा अन्न सिर्फ अपने लिए, अपने कुनबे के लिए या फिर अपने गांव के लिए ही नहीं ,बल्कि पुरे देश के लिए यहाँ तक की हमारे यहाँ उत्पादित फसलेविदेशो में भी निर्यात की जाती है। 
अन्न उगाने वाले किसान को खुद पता नहीं ,उसके खेतों में उगा अन्न,किस घर में,किस परिवार की भूख मिटा रहा है।  ज़रा सोचिए ये किसान जो दिन-रात मेहनत कर,सर्दी,गर्मी,बरसात की बिना परवाह किये। खेतों में लगा रहता है अगर अन्न ना उगाए तो शायद स्कूलों में बच्चों के लंच के लिए बजने वाली घंटिया सिर्फ घंटिया बजकर ही रह जाएगी। 
चांदी,सोने से ज़ड़ी उन पैसो वालो की प्लेटे खाली ही रह जाएगी। बात-बात पर भूख हड़ताल करने वाले नेता भूख हड़ताल करना भूल जायेंगे। 
दिन-रात मेहनत मजदूरी करने वाला ये किसान अगर अपने खेतों में उत्पादित अन्न को बेचना बंद कर दे तो शायद शहरो में रहने वाले लोग निवाले तक को तरस जायेंगे।   हम में से कुछ लोग डॉक्टर,इंजीनियर ,पुलिस,बैंककर्मी या फिर व्यापारी हैं । हम सब के काम करने का निश्चित टाइम या शिफ्ट होती है। 6 घंटे, 8घंटे या फिर ज्यादा से ज्यादा 10 घंटे लेकिन किसान का कोई टाइम फिक्स नहीं होता।  सबसे ज्यादा मेहनत खून-पसीना बहाना आमदनी सबसे कम। 
दूसरो को निवाला देने वाला ये किसान खुद भूखा-प्यासा कड़ाके की धूप और सर्दी की ठीठुरति रातों में भी कड़ी मेहनत करता है। ताकि कोई भूखा ना सोये, सब को अन्न का दान मिल सके। 
खेतों में बीज बोने से लेकर फसल के कटने तक इतनी मेहनत खून-पसीने के बाद भी आखिर जब किसान मंडी पहुचता है तो एक उम्मीद के साथ मगर हाथ सिर्फ निराशा ही लगती है|


अपनी वस्तु का दाम भी खुद नहीं लगा सकता कर्जे के बोझ के कारण उसे अपनी फसल जो लगता हैं दाम उसी में बेचनी पड़ती हैं। अगली फसल फिर से वही एक आस एक उम्मीद होती है। इस बार की फसल होगी तब कुछ करूँगा और ऐसे ही चलता रहता है। 
अनुज पारीक 
धुन ज़िन्दगी की  

1 comment:

  1. The farmers’ agitation for repeal of three agriculture laws introduced by the Union government has entered its 28th day today. Farmers from Punjab, Haryana and other states are clinging to various fronts in Delhi in the bitter cold and demanding repeal of these laws. The farmers have now announced to intensify their agitation. Read full article visit: Kisan Diwas 2020

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